मेरी परछाईं
प्रातः ईश्वर के सामने शीष झुका कर
एक मंगलमय दिन की प्रार्थना की ,
तब मेरी परछाईं मेरे पीछे शांत खड़ी थी ।
सूर्य को अर्ध्य देकर सूर्यनमस्कार कर
योगासन करने लगी तब ,
मेरी परछाईं मेरे साथ कसरत कर रही थी ।
सबेरे के घरेलू काम निपटाकर
डिब्बा तैयार कर जब काम पर निकली,
तब तेज रफ़्तार से मेरी परछाईं मेरे साथ हो चली थी।
दोपहर की तेज धूप में बैंक जा रही थी,
पोस्ट आॅफिस से कुरीयर भी ले आना था,
उस समय एक छोटी सी परछाईं मेरे पाॅव तले थी ।
शाम सब्ज़ी मंडी होते हुए घर आ रही थी,
तब एक लंबी सी परछाईं बड़ा सा झोला लिए,
मेरे पीछे पाॅव घसीटकर चल रही थी ।
चाय पीकर ,रसोई निपटाकर,
एक गहरी साँस ली तब ,
लगातार मेरी परछाईं मेरा साथ दे रही थी ।
अब फ़ुरसत में देर रात इन्टरनेट खोल बैठी,
मेल चेक करने थे,फ़ेसबुक भी एक बार देखना था,
कुछ पढ़ना था कुछ लिखना भी था ।
मैंने अब देर रात परछाईं से कहा,
तुम तो अब सो जाओ,मेरा साथ छोड़दो,
अब भी कुछ पेपर चेक करने है जो कल ही देने है ।
मेरी परछाईं ने मुझसे कहा,
मैं तुम्हारी रिश्तेदार ,संबंधी या पड़ोसी थोड़े ही हूँ ,
जो मंज़िल पहुॅचे बिना ही अकेले छोड़ दूँ ,
जब तक शरीर में आत्मा है मैं तुम्हारे साथ हूँ ।
मैं धिमा सा नाइट लैम्प लगाकर सो गई ,
तब भी एक धुँधली सी परछाईं मेरे साथ थी ।
मेरी परछाईं ।
प्रातः ईश्वर के सामने शीष झुका कर
एक मंगलमय दिन की प्रार्थना की ,
तब मेरी परछाईं मेरे पीछे शांत खड़ी थी ।
सूर्य को अर्ध्य देकर सूर्यनमस्कार कर
योगासन करने लगी तब ,
मेरी परछाईं मेरे साथ कसरत कर रही थी ।
सबेरे के घरेलू काम निपटाकर
डिब्बा तैयार कर जब काम पर निकली,
तब तेज रफ़्तार से मेरी परछाईं मेरे साथ हो चली थी।
दोपहर की तेज धूप में बैंक जा रही थी,
पोस्ट आॅफिस से कुरीयर भी ले आना था,
उस समय एक छोटी सी परछाईं मेरे पाॅव तले थी ।
शाम सब्ज़ी मंडी होते हुए घर आ रही थी,
तब एक लंबी सी परछाईं बड़ा सा झोला लिए,
मेरे पीछे पाॅव घसीटकर चल रही थी ।
चाय पीकर ,रसोई निपटाकर,
एक गहरी साँस ली तब ,
लगातार मेरी परछाईं मेरा साथ दे रही थी ।
अब फ़ुरसत में देर रात इन्टरनेट खोल बैठी,
मेल चेक करने थे,फ़ेसबुक भी एक बार देखना था,
कुछ पढ़ना था कुछ लिखना भी था ।
मैंने अब देर रात परछाईं से कहा,
तुम तो अब सो जाओ,मेरा साथ छोड़दो,
अब भी कुछ पेपर चेक करने है जो कल ही देने है ।
मेरी परछाईं ने मुझसे कहा,
मैं तुम्हारी रिश्तेदार ,संबंधी या पड़ोसी थोड़े ही हूँ ,
जो मंज़िल पहुॅचे बिना ही अकेले छोड़ दूँ ,
जब तक शरीर में आत्मा है मैं तुम्हारे साथ हूँ ।
मैं धिमा सा नाइट लैम्प लगाकर सो गई ,
तब भी एक धुँधली सी परछाईं मेरे साथ थी ।
मेरी परछाईं ।