Wednesday, 13 August 2014

मेरी परछाईं (हिन्दी)

मेरी परछाईं

प्रातः ईश्वर के सामने शीष झुका कर
एक मंगलमय दिन की प्रार्थना की ,
तब मेरी परछाईं मेरे पीछे शांत खड़ी थी ।

सूर्य को अर्ध्य देकर सूर्यनमस्कार कर
योगासन करने लगी तब ,
मेरी परछाईं मेरे साथ कसरत कर रही थी ।

सबेरे के घरेलू काम निपटाकर
डिब्बा तैयार कर जब काम पर निकली,
तब तेज रफ़्तार से मेरी परछाईं मेरे साथ हो चली थी।

दोपहर की तेज धूप में बैंक जा रही थी,
पोस्ट आॅफिस से कुरीयर भी ले आना था,
उस समय एक छोटी सी परछाईं मेरे पाॅव तले थी ।

शाम सब्ज़ी मंडी होते हुए घर आ रही थी,
तब एक लंबी सी परछाईं बड़ा सा झोला लिए,
मेरे पीछे पाॅव घसीटकर चल रही थी ।

चाय पीकर ,रसोई निपटाकर,
एक गहरी साँस ली तब ,
लगातार मेरी परछाईं मेरा साथ दे रही थी ।

अब फ़ुरसत में देर रात इन्टरनेट खोल बैठी,
मेल चेक करने थे,फ़ेसबुक भी एक बार देखना था,
कुछ पढ़ना था कुछ लिखना भी था ।

मैंने अब देर रात परछाईं से कहा,
तुम तो अब सो जाओ,मेरा साथ छोड़दो,
अब भी कुछ पेपर चेक करने है जो कल ही देने है ।

मेरी परछाईं ने मुझसे कहा,
मैं तुम्हारी रिश्तेदार ,संबंधी या पड़ोसी थोड़े ही हूँ ,
जो मंज़िल पहुॅचे बिना ही अकेले छोड़ दूँ ,
जब तक शरीर में आत्मा है मैं तुम्हारे साथ हूँ ।
मैं धिमा सा नाइट लैम्प लगाकर सो गई ,
तब भी एक धुँधली सी परछाईं मेरे साथ थी ।

मेरी परछाईं ।


अॅगस्ट क्रान्ति स्कूल (हिन्दी)

अॅगस्ट क्रान्ति स्कूल

उस बच्चे का चेहरा मेरा जाना पहचाना था ।
मैंने देखा था उसे मॅकडोनाल्ड के सामने ।
ट्राफिक सिग्नल पर ,सेंटर वन के सामने ।

मैंने देखा था उसे बोरा ढोते हुए ।
क्योंकि, जिस राह से मैं रोज़ गुज़रती थी,
वही राह उसका गुज़ारा करती थी ।

फिर मैंने देखा उसे ' अॅगस्ट क्रान्ति स्कूल' में ।
मैंने देखा उसे पढ़ते-लिखते -गाते हुए ।
देखा उसे गणपति की मूर्ति गढ़ते हुए ।

आज भी उसका चेहरा मेरा जाना पहचाना है ।
पर अब उसकी आँखो में चमक और ओंठो पे मुस्कान है ।
कुछ पा जाने की ख़ुशी और बहुत कुछ कर दिखाने की उमंग है ।

स्मिता घाटे
१३/०८/२०१४

Tuesday, 12 August 2014

मी खुळी

मी खुळी

मी बाई अशी कशी ..............खुळावले ?
आोव्या,कविता,करता करता........नादावले ?
शब्द, आोळी,अर्थ भावार्थ...............वेड़ावले?
नाद, ताल,लय आणी ठेका...............सुखावले?

मी बाई अशी कशी ..................खुळावले ?

स्मिता घाटे
०८/०८/२०१४

Thursday, 7 August 2014

पडझड ( मराठी )

पड़झड़
पडझड जोड़ी -जोडी नेच सुरु झाली ,
अधी तुमच्या नाकावर चाळीशी आली ,
मग माझ्या नाकावर चाळीशी आली ।

पडझड जोडीनेच सुरु राहीली ,
आधी तुमचे काही दात पडले,
मग माझे पण काही दात पडले ।

पड़झड़ जोडीनेच सुरु राहीली,
कुरळ्या केसांची जागा चाँदोबाने घेतली,
जाड़ शेपट्याची जागा विरळ होत गेली ।

पड़झड़-पड़झड़ होतच गेली ,
जोडी-जोड़ी ने असणच सुदंर करत गेली
जोड़ी -जोड़ी ने असणच सुदंर करत गेली ।

स्मिता घाटे
०७/०८/२०१४